72 इनाम और अधूरी मोहब्बत – एक जिहादी की जागृति | A Jihadi's Awakening and the Myth of 72 Rewards

वो एक साधारण मुस्लिम लड़का था, पढ़ा-लिखा, नमाजी, शरीफ। उसे इस्लामी परंपराओं से लगाव था, और अल्लाह से बेपनाह मोहब्बत। उसके पास सब कुछ था — परिवार, प्यार, इज्जत। लेकिन वक़्त की एक गलत मोड़ पर उसकी जिंदगी मुड़ गई। कुछ ऐसे लोग जिनका चेहरा नमाज़ी था, पर नीयत शैतानी — उन्होंने उसे घेर लिया। धीरे-धीरे, बातों-बातों में, विडियो, तकरीर और नफरत के शब्दों से उसका ब्रेनवॉश किया गया। He was an ordinary Muslim boy—educated, disciplined, devout. Deeply connected to Islamic values and Allah. He had everything: family, love, respect. But one wrong turn changed his path. Some men with pious appearances but demonic intentions surrounded him. Slowly, through words, videos, and sermons of hate, they brainwashed him. अब वो वही था जो वो पहले नहीं था — वो इस्लाम को न मानने वालों को काफिर समझता था। वो अब इस दुनिया में इस्लामी हुकूमत चाहता था। वो अब आतंकवादियों के गिरोह का हिस्सा था। ट्रेनिंग पूरी हो चुकी थी, शरीर तैयार था — अब रूह को कुर्बानी के नाम पर मोहर लगाई जा रही थी। Now he was no longer the same—anyone n...